World Bee Day 2025 | मधुमक्खियों के बिना जीवन अधूरा: विश्व मधुमक्खी दिवस की थीम और महत्व

Tue 20-May-2025,02:12 PM IST +05:30

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World Bee Day 2025 | मधुमक्खियों के बिना जीवन अधूरा: विश्व मधुमक्खी दिवस की थीम और महत्व मधुमक्खियों के बिना जीवन अधूरा: विश्व मधुमक्खी दिवस की थीम और महत्व
  • 20 मई: विश्व मधुमक्खी दिवस पर जागरूकता और संरक्षण का संकल्प।

  • Bee Day 2025: परागणकर्ताओं की रक्षा में युवा पीढ़ी की भूमिका।

  • मधुमक्खियों के बिना जीवन अधूरा: विश्व मधुमक्खी दिवस की थीम और महत्व।

Jharkhand / Hazaribagh :

विश्व मधुमक्खी दिवस हर साल 20 मई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं के महत्व, उनके सामने आने वाले खतरों और सतत विकास में उनके योगदान के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस वर्ष की थीम "युवाओं के साथ मधुमक्खी का जुड़ाव" है, जो युवा पीढ़ी को इन छोटे लेकिन महत्वपूर्ण जीवों की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति प्रेरित करने पर केंद्रित है। मधुमक्खियों को सदियों से धरती के सबसे मेहनती जीवों में से एक माना जाता है, जो न केवल मनुष्यों बल्कि पौधों और पर्यावरण के लिए भी अनेक लाभ प्रदान करती हैं। एक फूल से दूसरे फूल तक पराग ले जाकर मधुमक्खियाँ और अन्य परागणकर्ता फलों, नट्स और बीजों की प्रचुरता सुनिश्चित करते हैं, साथ ही उनकी गुणवत्ता और विविधता को भी बढ़ाते हैं। यह प्रक्रिया खाद्य सुरक्षा और पोषण में महत्वपूर्ण योगदान देती है, जिससे मानव जीवन और पर्यावरणीय संतुलन दोनों को लाभ मिलता है।

संयुक्त राष्ट्र ने मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं के महत्व को ध्यान में रखते हुए 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के रूप में नामित किया है। इस दिन का प्राथमिक लक्ष्य मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं की सुरक्षा के लिए उपायों को मजबूत करना है, जो वैश्विक खाद्य आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियों को हल करने और विकासशील देशों में भूख को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मानव जीवन और कृषि प्रणाली परागणकर्ताओं पर अत्यधिक निर्भर है, इसलिए उनकी संख्या में हो रही गिरावट पर नजर रखना और जैव विविधता के नुकसान को रोकना आवश्यक है। परागणकर्ताओं की सुरक्षा के बिना खाद्य उत्पादन और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।

मधुमक्खियों, पक्षियों और चमगादड़ों जैसे परागणकर्ताओं का वैश्विक कृषि उत्पादन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ये जीव दुनिया के 35 प्रतिशत फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं और 87 प्रमुख खाद्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि करते हैं। इसके अलावा, कई पौधों से प्राप्त दवाइयाँ भी परागणकर्ताओं पर निर्भर करती हैं। मानव उपभोग के लिए उगाई जाने वाली चार में से तीन फसलें, जो फल या बीज पैदा करती हैं, कम से कम आंशिक रूप से परागणकर्ताओं पर निर्भर करती हैं। मधुमक्खियों के अलावा, तितलियाँ, चमगादड़ और हमिंगबर्ड जैसे अन्य परागणकर्ता भी मानवीय गतिविधियों के कारण लगातार खतरे में हैं। इन जीवों के बिना, खाद्य सुरक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।

परागण की प्रक्रिया पारिस्थितिकी तंत्र के अस्तित्व के लिए आधारभूत है। दुनिया की लगभग 90 प्रतिशत जंगली फूलों वाली पौधों की प्रजातियाँ पूरी तरह या आंशिक रूप से जानवरों द्वारा परागण पर निर्भर हैं। इसके अतिरिक्त, वैश्विक स्तर पर 75 प्रतिशत से अधिक खाद्य फसलें और 35 प्रतिशत कृषि भूमि भी पशु परागण पर निर्भर करती है। परागणकर्ता न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संयुक्त राष्ट्र का यह दिवस मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

विश्व मधुमक्खी दिवस की शुरुआत 2018 में हुई थी, जिसे स्लोवेनिया सरकार और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ बीकीपर्स एसोसिएशन (एपिमोंडिया) के प्रयासों के कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मान्यता दी गई। 20 मई का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन आधुनिक मधुमक्खी पालन के अग्रणी एंटोन जानशा का जन्म हुआ था। जानशा स्लोवेनिया के एक मधुमक्खी पालक परिवार से थे, जहाँ मधुमक्खी पालन एक पारंपरिक और महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि रही है। उन्हें ऑस्ट्रियाई महारानी मारिया थेरेसा द्वारा वियना में मधुमक्खी पालन के एक नए स्कूल में शिक्षक नियुक्त किया गया था। उनकी शिक्षाओं और विधियों ने मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में क्रांति ला दी, और उनकी मृत्यु के बाद भी उनके सिद्धांतों को पढ़ाया जाता रहा।

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आज दुनिया भर में मधुमक्खियों, परागणकर्ताओं और अन्य कीटों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन, कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग, आवासों का नुकसान और औद्योगिक कृषि प्रथाएँ हैं। विश्व मधुमक्खी दिवस हम सभी के लिए एक अवसर प्रदान करता है कि हम परागणकर्ताओं और उनके आवासों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएँ। चाहे हम सरकारी संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों या सामान्य नागरिकों के रूप में काम कर रहे हों, हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं के संरक्षण के लिए प्रयास करें। इन प्रयासों में कीटनाशकों के उपयोग को कम करना, फूलों वाले पौधे लगाना, जैविक खेती को बढ़ावा देना और मधुमक्खी पालन के सतत तरीकों को अपनाना शामिल हो सकता है।

मधुमक्खियाँ और अन्य परागणकर्ता हमारे ग्रह की जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उनके बिना, कृषि उत्पादन और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर संकट में पड़ सकते हैं। विश्व मधुमक्खी दिवस हमें याद दिलाता है कि इन छोटे जीवों की सुरक्षा करना हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी दैनिक गतिविधियों में बदलाव लाकर और दूसरों को जागरूक करके परागणकर्ताओं के संरक्षण में योगदान दें। केवल सामूहिक प्रयासों से ही हम मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं की घटती संख्या को रोक सकते हैं और एक स्वस्थ और स्थायी भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

By Sweety Kumari

स्वतंत्र लेखक

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